Thursday, April 7, 2016

देश की धड़कन" फ़ौजियो " पे चन्द पंक्तिया मेरे तरफ से



फ़ौजियो की कुर्बानी तुम्हे समझ कहाँ आता है,
भारत माँ के शान के खातिर वो गोलिया सिने पर ख़ाता है|
कभी महीने कभी सालो तक वो घर नही जाता है
कभी पहाड़ कभी बारफ़ो पर अपना आसिया बनाता है|
फ़ौजियो की कुर्बानी तुम्हे कहाँ समझ आता है|| मा बहन और बीबी का याद उन्हे भी आता है दिल का एक कोना उनसे मिलने को ललचाता है| सब इक्षा दफ़न कर वो हरदम मुस्कुराता है फ़ौजियो की कुर्बानी तुम्हे समझ कहाँ आता है||
कभी गर्मी कभी ठंडी कभी तेज बरसातो मे, बन पर्वत खड़ा रहता है ,बंदूक लिए वो हाथो मे| कही जलता है कही तिठुरता है रातो मे
लड़ता रहता है दुश्मनो से कफ़न बँधे वो माथौ पे|| वो खुद जागता है ताकि हम सो सके शांति और ख़ुशियो के लिए हम ना रो सके|
उनकी जीत की दुआ माँग लेना खुदा से अगर हो सके ताकि इतने कुर्बनियो के बाद हम और कुछ ना खो सके||
ज़य हिंद
:- देवचंद्र ठाकुर

1 comment: