Devchandra Thakur
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Tuesday, April 24, 2018
जिंदगी के बाग में ,वो खोया बचपना फिर खिलेंगे।
सुखी पड़ी वो मासूम से पत्ते फिर हिलेंगे।
अभी बह रहा हु तो बह जाने दो समुन्दर में ,
गर किनारा मिला तो , उसी अंदाज में फिर मिलेंगे।
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देव
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