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Saturday, May 4, 2019

मेरी कलम से सारे देश कें सपूतो को समर्पित🙏🙏
फौजी....क्या पता था...
परिवार से मिलने को तरसता था दिन गिन गिन,
गिनती खत्म होने से पहले, दुनिया छोड़ना पड़ेगा क्या पता था।
कुछ सपनें देखे थे अपने परिवार के लिए वो भी,
सपनें सपने ही रह जाएंगे क्या पता था।
देश की रक्षा करने वाला है वो,
उसके परिवार को दूसरो पे निर्भर होना पड़ेगा, क्या पता था।
कुछ बाते तो होगी जो कल पे छोड़ी होगी,
वो कल ही नही आयेगा क्या पता था।
कुछ कपड़े तो धो के सुखाएँगे होंगे वो,
कल तिरंगे की जरूरत होगी, क्या पता था।
कुछ तो और कहना था उसे अपने माँ से,
आखरी वक्त में माँ भी नही बोल पायेगा, क्या पता था।
वफ़ा का वादा किया था उसने भी किसी से,
देश से वफ़ा निभाते-2, उससे बेवफाई कर जाएगा,क्या पता था।
कल तक सर पे करता था तिलक मातृभूमि के मिट्टी से,
आज मातृभूमि के मिट्टी में खो जाएगा क्या पता था।
बचपन से जवानी तक वर्दी का सपना देखा था उसने ,
उस वर्दी में जवानी भी न गुजरेगी, क्या पता था।

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