वर्षो बाद भी ...
अचानक से चाल धीमा हो गया, मानो कदम आगे बढ़ना ही नहीं चाहता है| मगर कदम रुक भी नहीं रहा, शायद दिल रुकना भी नहीं चाहता है। शाम की ठण्ड हवा और लोगों की कदमो के अहाट, कानो में शोर करने लगी| धड़कने तेज़ और आँखे नम होने लगी। लग रहा था पीछे से कोई रोते हुए पुकार रहा है, और वही आवाज़ अचानक से फिर उसे दुत्कार रहा है| मन व्याकुल हो उठा, बगल के दुकान से पानी का एक बोतल लिया और सामने स्ट्रीट लेम्प के निचे वो जा के बैठ गया|
ऐसा लग रहा था मानो वो जंग में सब कुछ हार के बैठा हो| कई महीने बीत गए थे, उसे लगा था की वो जिंदगी में आगे बढ़ चूका है और सब कुछ ठीक है| प्यार को खोने के बाद वो इतना चिरचिरा बन गया था की धीरे धीरे उसके सारे दोस्तो ने भी उससे दूरिया बना ली थी| वास्तिवकता ये भी था की वो भी सबसे दूर ही रहना चाहता था| एक वक्त था जब वो अवसाद के भवर में बहुत गंदे तरीके से डूब चूका था मगर घर में अपनो के साथ रह के और खुद को सख्ती से बहुत हद तक बदल लिया था| किसी जीव को कष्ट में देख के रो देने वाला, अब खड़े हो के बिना चेहरे पे एक सिकन लाये जल्लाद को चाकू चलाते देख ले, इतना मजबूत कर लिया था दिल को|
मगर आज क्यों वो इंसान इतने महीनो बाद भी उस रास्ते से गुज़र नहीं पाया, जहाँ उसने अपने प्यार से आखरी मुलाकात की थी| जहाँ उसने सोचा था की अपने प्यार से, अपने प्यार का इज़हार करेगा| उसे क्या मालूम था की वो मुलाकात आखिरी है, वक्त कुछ यु पलटेगा की सालो से छिपे भावना को बताने के लिए उसे चंद वक्त भी नसीब न होगा|
काफी देर वो उस जगह बैठा रहा, निहारता रहा वो रास्ता जहाँ वो पहले रोज गुजरा करती थी| हर एक चहेरे में उसे लगता मानो वो ही आ रही हैं जबकि दिल को पता था की वो आ नहीं सकती| पहला बार और आखरी बार का वो मुलाकात, उसके जिंदगी का बसंत जैसा था, ऐसा वसंत जो फिर कभी नहीं आया, मगर हां, बारिश, सर्द और पतझर ताउम्र उसके जिंदगी का हिस्सा बना रहा|
काफी रात हो गयी, दिल भी सिथिल सा हो गया| आँखे भी सुख गयी थी| वो पानी से मुँह धोया और सीधा चलता रहा, बहुत मन कर रहा था की एक आखरी बार पीछे मुड के देख ले उस जगह को लेकिन वो सीधा चलता रहा....
Wah bahut sundar..
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