सामा-चकेबायाद ये ओ सबटा इजोरिया रायेत , ठण्ड में दुबैक के सिरक में सुइत जैएत रही ता तक , लेकिन बहिन सब सामा चकेवा के ले के गीत सब गबैत रहेत रहे , सब बिध-बाध में कनी लेट भय जैत रहे |फेर सब भाय के साथ कैर के बारी में या पोखैर पाढ जैईत रहिये आर ठंडा में ठेंघुंन पर सामा फोरैत रहिये |सबसे बेसी मज़ा ते पिठार वाला सामा फोरे में आबैत रहे|
दिवाली आर छठ से बचायाल बम
आर पटाखा भी फोरैत रहिये |किछ पटाखा मेहाय जैएत रहे ओकरा हुका में जे आयग लागायल
जैएत रहे ओये में बाद दे देत रहिये ,किछ किछ फुइटो जैत रहे |
लेकिन इ ते अंतिम रायेत के
भेल , दुर्गा पूजा से लगातार चैल आबेत एक ने एक पबैन सबसे बेसी सुखदायी ते
विद्यार्थी लेल ही रहे , बेसी छुट्टी मिलैत रहे , सामा में ते रोज ओस चटाबे ले जे
बहिन सब जैएत रहे ओकरा देखे ले चैल जिए , असली मकसद पेढ़ के जल्दी उठब रहे , लेकिन ओ
समय इ पता ने रहे की इ कानी देर के सुख ही ने बल्कि जीवन भैर के सबसे पैग यादगार
पल में से एक भय जेते |कतबो पैग बिपत्ति में भी ओ पल के याद मात्र ठोर पर मुस्की एन
देते |
सुने छिये मनुख मिले जुले के
६०-६५ साल जीबे छे ,लेकिन हमर अनुसार सब
लोग मात्र १८ से २० साल ही जीबे छे ,ओकर बाद ते बस उम्र काटे छे| किये ते असली मज़ा
जिन्दगी के येह उमर में छे ओकर बाद जरूरत आर ओकर समाधान में समय बीत जय छे|
चलू कउनु बात ने ....सब
गोटा के सामा चकेबा के हार्दिक शुभकामानाएं .... सब कोशिश करियो इ पाबेन कहानी बेन
के नै रेह जाए,एकर अस्तिव बरक़रार रहे , सब खूब ख़ुशी से बिना कुनु बहाना के मनाबी|
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