Tuesday, April 24, 2018
शराफत का फायदा भी लोग बड़े शराफत से उठाते है ,
सामने से उठाते है ,और पीछे से गिराते है ..
बस काम निकलने की देरी होती है ,
कल तक जो हमदर्द बताते है वो अजनबी सा गुजर जाते है ,
भरोसा , विश्वास , यकींन सब पर्यावाची शब्द है बस पढने को ,
जिन्दगी में खोजो तो दूर तक कहाँ नज़र आते है .... #देव
सामने से उठाते है ,और पीछे से गिराते है ..
बस काम निकलने की देरी होती है ,
कल तक जो हमदर्द बताते है वो अजनबी सा गुजर जाते है ,
भरोसा , विश्वास , यकींन सब पर्यावाची शब्द है बस पढने को ,
जिन्दगी में खोजो तो दूर तक कहाँ नज़र आते है .... #देव
जिन्दगी क्या है , कब कौन हँसता हुआ आदमी किसी को रुला के चला जाए ये कोई नहीं कह सकता है .... एक मोह का बंधन होता है लोगो में जो ख़ुशी और दुःख दोनों का कारक है , यह बात सही है की किसी एक मात्र के जाने से न दुनिया रूकती है न किसी एक के आने से दुनिया चलना आरंभ करती है | इस दुनिया रूपी रंग मंच में हर किसी को अपना किरदार अच्छे से निभाना होता है ...भगवान ने हमे बनाया है मेरे अनुसार उन्होंने हमे खुश रहने की हर एक चीज़ दी , दुःख के लिए बस एक चीज़ ही दी ,वो है मोह ... हर व्यक्ति तब तक खुश होता है जब तक वो मोह माया से दूर होता है लेकिन इस मोह रूपी बंधन को तोड़ पाना भी हमारे हाथ में नहीं है | जन्म लेने वाला हर व्यक्ति का मरना तय है ये सभी जानते है मगर एक बंधन मोह का है जो मरने से हर व्यक्ति को डराता रहता है .....
मानव जीवन में हर कदम जोखिम से भरा होता है ... रास्ते में चलना , बंद कमरे में रहना , पानी पीना , खाना हर चीज़ में जान जाने का खतरा होता है ..होनी ये फैसला करता है कब किसको और कैसे जाना है |
इसलिए ,मेरा यह मानना है की हर किसी को सदेव इर्ष्या , द्वेष और मोह को त्याग कर आपस में प्रेम से रहना चाहिए | जब तक जिन्दगी साथ दे रही है तब तक हम आपस में प्रेम से साथ रहे...दुनिया में कई लोग है जो दुसरे को परेशानी में देख कर भी मदद करने का ख्याल नहीं करते है ,सब अपने में रमे रहते है , पैसे तो बहुत इकठा कर लेते है मगर जीवन में चैन और सुख को भूल कर मोह के पीछे भागते भागते चले जाते है | वही कुछ लोग होते है जो अपने आवश्यकता के पूर्ति के बाद ही सही लेकिन दुसरो के बारे में भी सोचते है , इसमें भी अलग आनंद होता है |
इस ठण्ड में कपकपाती बूढ़े हिल रहे हाथो से भीख मांग कर क्यों कोई जीने को मजबूर लोग दिखाई देते है , क्यों मासूम बच्चे खेलने के उम्र में रोटी को के लिए रोते दीखते है | क्यों कुछ लोगो को एक कुत्ते पे हजारो रुपये बर्बाद कर उसे पालने में ज्यादा सुख मिलता , क्यों किसी मजबूर और लाचार लोग का वो मदद्त नहीं कर पाते है |ये दुनिया अब वो नहीं रही जब लोग एक दुसरे के दुःख सुख में साथ देते थे |
लॉन्ग ड्राइव, बेमतलब की पार्टी ,etc पे एक बार होने वाले खर्च से मदद अगर किसी गरीब को कर दिया जाय तो वो इस तरह खुश होगा मानो पूरा आस्मान उनके नाम लिख दिया है कोई |
अंत में मै कहना चाहूँगा की , बहुत छोटी जिन्दगी है , जब तक जियो हसके और हँसा के जियो |
मानव जीवन में हर कदम जोखिम से भरा होता है ... रास्ते में चलना , बंद कमरे में रहना , पानी पीना , खाना हर चीज़ में जान जाने का खतरा होता है ..होनी ये फैसला करता है कब किसको और कैसे जाना है |
इसलिए ,मेरा यह मानना है की हर किसी को सदेव इर्ष्या , द्वेष और मोह को त्याग कर आपस में प्रेम से रहना चाहिए | जब तक जिन्दगी साथ दे रही है तब तक हम आपस में प्रेम से साथ रहे...दुनिया में कई लोग है जो दुसरे को परेशानी में देख कर भी मदद करने का ख्याल नहीं करते है ,सब अपने में रमे रहते है , पैसे तो बहुत इकठा कर लेते है मगर जीवन में चैन और सुख को भूल कर मोह के पीछे भागते भागते चले जाते है | वही कुछ लोग होते है जो अपने आवश्यकता के पूर्ति के बाद ही सही लेकिन दुसरो के बारे में भी सोचते है , इसमें भी अलग आनंद होता है |
इस ठण्ड में कपकपाती बूढ़े हिल रहे हाथो से भीख मांग कर क्यों कोई जीने को मजबूर लोग दिखाई देते है , क्यों मासूम बच्चे खेलने के उम्र में रोटी को के लिए रोते दीखते है | क्यों कुछ लोगो को एक कुत्ते पे हजारो रुपये बर्बाद कर उसे पालने में ज्यादा सुख मिलता , क्यों किसी मजबूर और लाचार लोग का वो मदद्त नहीं कर पाते है |ये दुनिया अब वो नहीं रही जब लोग एक दुसरे के दुःख सुख में साथ देते थे |
लॉन्ग ड्राइव, बेमतलब की पार्टी ,etc पे एक बार होने वाले खर्च से मदद अगर किसी गरीब को कर दिया जाय तो वो इस तरह खुश होगा मानो पूरा आस्मान उनके नाम लिख दिया है कोई |
अंत में मै कहना चाहूँगा की , बहुत छोटी जिन्दगी है , जब तक जियो हसके और हँसा के जियो |
दुनिया मे ऊँगली दिखाने वाले बहुत लोग मिलेंगे,मगर ऊँगली पकड़ाने वाले नही मिलेंगे।
बुरा भला कहने वाले बहुत मिलेगे,मगर भला चाहने वाले नहीं।
पथ भ्रमित करने वाले बहुत मिलेंगे मगर मार्ग दिखाने वाले नही ।
इसलिए मनुष्य को अपने मार्ग पर इन सब बाधाओ को पार करते हुए आगे बढ़ते जाना है ।
इसके लिए बहुत ज्यादा मात्रा में आत्मबल , और धनात्मक ऊर्जा का आवश्यकता होता है । और इस के लिए हमे, ऋणात्मक सोच और ऊँगली करने वाले लोगो से दूरस्थ रहना पड़ेगा ।
बुरा भला कहने वाले बहुत मिलेगे,मगर भला चाहने वाले नहीं।
पथ भ्रमित करने वाले बहुत मिलेंगे मगर मार्ग दिखाने वाले नही ।
इसलिए मनुष्य को अपने मार्ग पर इन सब बाधाओ को पार करते हुए आगे बढ़ते जाना है ।
इसके लिए बहुत ज्यादा मात्रा में आत्मबल , और धनात्मक ऊर्जा का आवश्यकता होता है । और इस के लिए हमे, ऋणात्मक सोच और ऊँगली करने वाले लोगो से दूरस्थ रहना पड़ेगा ।
Gyan by Future BABA 😌
ये अधूरा सा कविता मैने लिखा है....आनंद लीजिये 😌अगर पूरा हो पाए तो कर दीजिए😌
बेजुबान सा चल रहा हु पथरीले राहो में ,
एक आश लिए ,सोने को मिट्टी की बाहों में ।
कंकर ,भूख और प्यास से लड़ते हुए,
अनंत तक दिख रहे मुश्किलो से ,थोड़ा सा डरते हुए ।
सहमे से है कदम ,मगर हौसला अभी भी बुलंद है ,
फफक रही धड़कन,मगर सासों का रफ्तार हो रही मंद है।
ना कोई और , ना जानवर , ना पक्षियों की चहक है ,
बस साथ है कोई तो वो मैं ,और मेरे सपनों की महक है ।
एक आश लिए ,सोने को मिट्टी की बाहों में ।
कंकर ,भूख और प्यास से लड़ते हुए,
अनंत तक दिख रहे मुश्किलो से ,थोड़ा सा डरते हुए ।
सहमे से है कदम ,मगर हौसला अभी भी बुलंद है ,
फफक रही धड़कन,मगर सासों का रफ्तार हो रही मंद है।
ना कोई और , ना जानवर , ना पक्षियों की चहक है ,
बस साथ है कोई तो वो मैं ,और मेरे सपनों की महक है ।
मोमबत्ती क्या जलाई आज , सारा बचपन सामने नजर आने लगा ।
वो समय ही अच्छा था जब बल्ब और ट्यूब लाइट शिर्फ़ शहरों के नखड़े हुआ करते थे
वो डिबिया और लेम्प के सामने सरकारी रंगा हुआ किताब जोर से पढ़ने का भी अपना मज़ा था।
वो पीली रोशनी फेकती तीन सलिया टॉर्च
निप्पो की बैट्री जिसे धूप में रखना पड़ता था कभी कभी ।
कितना सादा जीवन था लोगो का उस समय
एक टॉर्च से पूरा परिवार काम चला लेता था ,आज क्या समय आ गया है ।।।
अंधेरा में जुगनू का पीछा करना
टीम टीम करते तारो को देख कर किसी और दुनिया मे खो जाना ।
रात में उठ कर कभी कभी दीवार से टकरा जाना।
ठंड की रात और चापाकल का पानी सूख जाना।
हल्के होने के लिए जागना और बिस्तर पर जाते वक्त पत्तो के सरसराहट को सुन तेजी से भागना।
रात मे दुआर पे बाबा के पास सोना और बीच रात में भाग के दादी माँ के पास आंगन आ जाना ।
कितना आनद दयाक था वो पल ।
सबसे ज्यादा खुशी वो पल को याद कर के आता है कि कभी अगर रात में पोटी लग जाती थी तो डाट सुनने के डर से सुबह का इंतज़ार करना 😜
सुबह सुबह 4 बजे उठ कर परीक्षा के समय में लालटेन जला के पढना और दरवाजे पे गाय के आंख को चमकते देखना । रास्ते से पूजा करने जा रहे लोगो के आवाज़ से उसको पहचानने की कोशिश करना ।
और पता नही कहा से लेकिन दूर ,बहुत दूर से लाउडस्पीकर की हल्की हल्की आवाज़ जिसपे 90s के गाने बजते हुए।
सिंघार और अन्य फूलो का गमक पूरे वातावरण की पवित्र करती रहती थी ।।
सच कहु तो स्वर्ग से भी सुंदर था वो पल।
वो समय ही अच्छा था जब बल्ब और ट्यूब लाइट शिर्फ़ शहरों के नखड़े हुआ करते थे
वो डिबिया और लेम्प के सामने सरकारी रंगा हुआ किताब जोर से पढ़ने का भी अपना मज़ा था।
वो पीली रोशनी फेकती तीन सलिया टॉर्च
निप्पो की बैट्री जिसे धूप में रखना पड़ता था कभी कभी ।
कितना सादा जीवन था लोगो का उस समय
एक टॉर्च से पूरा परिवार काम चला लेता था ,आज क्या समय आ गया है ।।।
अंधेरा में जुगनू का पीछा करना
टीम टीम करते तारो को देख कर किसी और दुनिया मे खो जाना ।
रात में उठ कर कभी कभी दीवार से टकरा जाना।
ठंड की रात और चापाकल का पानी सूख जाना।
हल्के होने के लिए जागना और बिस्तर पर जाते वक्त पत्तो के सरसराहट को सुन तेजी से भागना।
रात मे दुआर पे बाबा के पास सोना और बीच रात में भाग के दादी माँ के पास आंगन आ जाना ।
कितना आनद दयाक था वो पल ।
सबसे ज्यादा खुशी वो पल को याद कर के आता है कि कभी अगर रात में पोटी लग जाती थी तो डाट सुनने के डर से सुबह का इंतज़ार करना 😜
सुबह सुबह 4 बजे उठ कर परीक्षा के समय में लालटेन जला के पढना और दरवाजे पे गाय के आंख को चमकते देखना । रास्ते से पूजा करने जा रहे लोगो के आवाज़ से उसको पहचानने की कोशिश करना ।
और पता नही कहा से लेकिन दूर ,बहुत दूर से लाउडस्पीकर की हल्की हल्की आवाज़ जिसपे 90s के गाने बजते हुए।
सिंघार और अन्य फूलो का गमक पूरे वातावरण की पवित्र करती रहती थी ।।
सच कहु तो स्वर्ग से भी सुंदर था वो पल।
उन हवाओ से पूछो उमंग क्या होती है ,
जो मेरे गांव से गुजर कर आयी है ।
उन पंक्षियों से पूछो ,खुशी क्या होती है ,
जो वहां के पेड़ो पे चहक कर आई है ।
उस नदी से पूछो हँसी क्या होती है ।,
जो वहां पे कलकल कर बहती हुई आयी है ।
उन बूंदो से पूछो मस्ती क्या होती है ,
जो वहां बरस के आयी है।
स्वर्ग सा है हमारागाँव, फिर भी दर्द है लोगो के दिलो में ,
इस दर्द का अहसास उससे पूछो जो ,अपने गांव छोड़ के आये है।
#dev
जो मेरे गांव से गुजर कर आयी है ।
उन पंक्षियों से पूछो ,खुशी क्या होती है ,
जो वहां के पेड़ो पे चहक कर आई है ।
उस नदी से पूछो हँसी क्या होती है ।,
जो वहां पे कलकल कर बहती हुई आयी है ।
उन बूंदो से पूछो मस्ती क्या होती है ,
जो वहां बरस के आयी है।
स्वर्ग सा है हमारागाँव, फिर भी दर्द है लोगो के दिलो में ,
इस दर्द का अहसास उससे पूछो जो ,अपने गांव छोड़ के आये है।
#dev
जिंदगी के बाग में ,वो खोया बचपना फिर खिलेंगे।
सुखी पड़ी वो मासूम से पत्ते फिर हिलेंगे।
अभी बह रहा हु तो बह जाने दो समुन्दर में ,
गर किनारा मिला तो , उसी अंदाज में फिर मिलेंगे।
#देव
सुखी पड़ी वो मासूम से पत्ते फिर हिलेंगे।
अभी बह रहा हु तो बह जाने दो समुन्दर में ,
गर किनारा मिला तो , उसी अंदाज में फिर मिलेंगे।
#देव
कौन कहता कि खुदा ,भगवान , अल्लाह बिकता नही है,
एक बार पूछो उससे जिसे सालो के मेहनत के बाद हर साल पता चलता है कि एग्जाम का प्रश्न तो किसी ने खरीद लिया है ,
एक बार पूछो उससे जिसे पता चलता है इंटरव्यू बिना पैसा खर्च किये हजारो में ,मिलने वाला नही है।
एक बार पूछो उससे जिसके बेटी की डोली , चंद सिक्को के खातिर नही उठती
एक बार पूछो उससे जिसे सड़ा बीज बोकर खेती करना पड़ता है ।
एक बार पूछो उससे जो सुबह से रात काम कर भी बच्चों को 2 वक्त का रोटी नही दे पाता ।
एक बार पूछो उससे जिसका बिरधा पेंसन के सो सो रुपये भी आधी देने पे मिलती है ।
एक बार पूछो उससे जिसके घर के लोग 100 रुपये के इलाज़ के बिना दम तोड़ देते है ।
एक बार पूछो उससे जो चंद पैसो के लिए दुनिया छोड़ देते है ।
एक बार पूछो उससे जो एक नौकरी के लिए जीना छोड़ देते है ,
भगवान बिकता रोज है,
हा , भगवान बिकता रोज है ,
कभी मजबूरी बन कर ,
कभी किसी अमीर के शौख के लिए ।
कभी गरीब को तरसाने के लिए।
कभी मजलुमो को तड़पाने के लिए।
भगवान बिकता है, रोज बिकता है।
एक बार पूछो उससे जिसे सालो के मेहनत के बाद हर साल पता चलता है कि एग्जाम का प्रश्न तो किसी ने खरीद लिया है ,
एक बार पूछो उससे जिसे पता चलता है इंटरव्यू बिना पैसा खर्च किये हजारो में ,मिलने वाला नही है।
एक बार पूछो उससे जिसके बेटी की डोली , चंद सिक्को के खातिर नही उठती
एक बार पूछो उससे जिसे सड़ा बीज बोकर खेती करना पड़ता है ।
एक बार पूछो उससे जो सुबह से रात काम कर भी बच्चों को 2 वक्त का रोटी नही दे पाता ।
एक बार पूछो उससे जिसका बिरधा पेंसन के सो सो रुपये भी आधी देने पे मिलती है ।
एक बार पूछो उससे जिसके घर के लोग 100 रुपये के इलाज़ के बिना दम तोड़ देते है ।
एक बार पूछो उससे जो चंद पैसो के लिए दुनिया छोड़ देते है ।
एक बार पूछो उससे जो एक नौकरी के लिए जीना छोड़ देते है ,
भगवान बिकता रोज है,
हा , भगवान बिकता रोज है ,
कभी मजबूरी बन कर ,
कभी किसी अमीर के शौख के लिए ।
कभी गरीब को तरसाने के लिए।
कभी मजलुमो को तड़पाने के लिए।
भगवान बिकता है, रोज बिकता है।
देवचन्द्र ठाकुर
ये रास्ते जो दूर बहुत दूर सीधी सीधी जा रही है इन रास्तो से बहुत करीब का रिश्ता रहा है कभी ।
वक्त घर के बाद ज्यादातर यही बिता है कभी।
वो इमली का पेड़ जो छोटी लगने लगी है अभी छोड़ तक देख नही पाते थे इसके , हाँ बहुत छोटे थे तभी ।
स्कूल से भाग के कई बार छीपे थे इस पेड़ के पीछे।
पहली बार साईकल भी चलाये थे इसी पेड़ के पास नीचे।
जब भी देखता हूं इसमे इमली का गुच्छा , मन प्रफुल्लित हो जाता है ।
वो बोरा ले के स्कूल जाना , वो तू ही राम है तू रहीम है वाला प्राथना ,।
टिफिन में इमली तोड़ने जाना। फिर लौटने के बाद
क्लास में बैठे मास्टर के पान की खुशबू देह में दहसत पैदा कर देती थी ।
।।।
कभी कभी क्लास से लिए 5 मिनट के छुट्टी को घंटो तक खीच देते थे।
दोस्तो के साथ बाहर युही घूमते फिरते थे ।
वक्त घर के बाद ज्यादातर यही बिता है कभी।
वो इमली का पेड़ जो छोटी लगने लगी है अभी छोड़ तक देख नही पाते थे इसके , हाँ बहुत छोटे थे तभी ।
स्कूल से भाग के कई बार छीपे थे इस पेड़ के पीछे।
पहली बार साईकल भी चलाये थे इसी पेड़ के पास नीचे।
जब भी देखता हूं इसमे इमली का गुच्छा , मन प्रफुल्लित हो जाता है ।
वो बोरा ले के स्कूल जाना , वो तू ही राम है तू रहीम है वाला प्राथना ,।
टिफिन में इमली तोड़ने जाना। फिर लौटने के बाद
क्लास में बैठे मास्टर के पान की खुशबू देह में दहसत पैदा कर देती थी ।
।।।
कभी कभी क्लास से लिए 5 मिनट के छुट्टी को घंटो तक खीच देते थे।
दोस्तो के साथ बाहर युही घूमते फिरते थे ।
लेकिन अच्छा नही लगा इतना वीरान देख के इस जगह को ,
शायद इस जहग को भी अच्छा नही लग रहा होगा ऐसे रहना ।
........…......
शायद इस जहग को भी अच्छा नही लग रहा होगा ऐसे रहना ।
........…......
मेरी रचना :
धीरे धीरे पढियेगा ।
धीरे धीरे पढियेगा ।
उन सपनों के टूटने का दर्द नही होता जो अपने लिए देखते है ।
दर्द तो उन सपनों के टूटने का होता है जो अपनो के लिये देखते है ।
दर्द तो उन सपनों के टूटने का होता है जो अपनो के लिये देखते है ।
लोग कहते है कि इस बड़ी दुनिया मे खोजने पे सब कुछ मिल जाता है ,
मगर लाख खोज लो वो कभी नही मिलते जो एक बार इसे छोड़ के जाता है।
मगर लाख खोज लो वो कभी नही मिलते जो एक बार इसे छोड़ के जाता है।
आज मेहनत करो कल पैसे होंगे , बड़े गाड़ी में तुम घूम लोगो ,
मगर खुशी तो तब मिलती जब उसे उसपे घुमाता जो बचपन मे कंधे पे घूमाता था।
मगर खुशी तो तब मिलती जब उसे उसपे घुमाता जो बचपन मे कंधे पे घूमाता था।
लोग कहते है कि जिंदगी अपने अंदाज में जीना चाहिए ,
मगर पता नही उन्हें हम लोग तो ऊपर वाले के सर्कस के कठपुतले है , लाठी के चोट पे नाचते है ।
मगर पता नही उन्हें हम लोग तो ऊपर वाले के सर्कस के कठपुतले है , लाठी के चोट पे नाचते है ।
एक सवाल आपके जबाब के प्रतीक्षा मे ,
अगर उतरना है जंग ऐ मैदान में तो क्या नियम और क्या कायदा ,
जब होगा वही जो होने वाला है , तो हाय भगवान हाय भगवान से क्या फायदा ।
अगर उतरना है जंग ऐ मैदान में तो क्या नियम और क्या कायदा ,
जब होगा वही जो होने वाला है , तो हाय भगवान हाय भगवान से क्या फायदा ।
देवचन्द्र ठाकुर
ऐ बादल तू बरस और हर रोज बरस,
तेरी हर बूंदो की आवाज़ अच्छी लगती है ,
सहमे से चेहरे पे उनके बूंदो की फुहार अच्छी लगती है ,
भींग जाने का वो डर , हाथ से छुपाये अपना सर
तेरे थम जाने की उनकी वो इंतज़ार अच्छी लगती है ,
ऐ बादल तू बरस और हर रोज बरस,
तेरी गर्जन की हर साज अच्छी लगती है ,
बिजली की चमक और आँखों का बंद करना ,
डरते हुए वो धीरे से निकलती आह अच्छी लगती है ,
सच कहु तो बारिश में उनकी हर बात अच्छी लगती है .....
तेरी हर बूंदो की आवाज़ अच्छी लगती है ,
सहमे से चेहरे पे उनके बूंदो की फुहार अच्छी लगती है ,
भींग जाने का वो डर , हाथ से छुपाये अपना सर
तेरे थम जाने की उनकी वो इंतज़ार अच्छी लगती है ,
ऐ बादल तू बरस और हर रोज बरस,
तेरी गर्जन की हर साज अच्छी लगती है ,
बिजली की चमक और आँखों का बंद करना ,
डरते हुए वो धीरे से निकलती आह अच्छी लगती है ,
सच कहु तो बारिश में उनकी हर बात अच्छी लगती है .....
देव
दुनिया में प्रेम , इश्क़ , दीवानगी ख़त्म हो चुकी लगती है ,
वरना यु लोगो को जात्तपात के नाम पर लड़ने का फुर्सत कहाँ मिलता |
अगर सुकून मिल जाये तो कोई राज्य लूटो और कोई देश ही लूट लो ,
मगर समझ लो ,दर्द है फिर भी मजे में है वो जो दिल लुटा के बैठे है |
#so_be_romeo_not_politician :-p
वरना यु लोगो को जात्तपात के नाम पर लड़ने का फुर्सत कहाँ मिलता |
अगर सुकून मिल जाये तो कोई राज्य लूटो और कोई देश ही लूट लो ,
मगर समझ लो ,दर्द है फिर भी मजे में है वो जो दिल लुटा के बैठे है |
#so_be_romeo_not_politician :-p
किस से शिकायत करू ,
कसूर करने वाला दिल भी तो अपना है ,
समझाया था कितना भी देख ले ,
सपना तो आखिर सपना है |
प्यार से भी समझाया और बेरुखी से भी कहा ,
तू भटक मत , तेरा काम सिर्फ धरकना है ||
#DEV
किसी की मुश्कान न जाये इसलिए हर वक्त मुस्कुराये जा रहा हु।
लाखो गमो को सीने में छुपाये जिये जा रहा हु।
जिसे ज्यादा चाहा वो दूर जाता रहा जिंदगी में
बस इसी कारण हर वक्त उसे भुलाये जा रहा हु ।
#देव
लाखो गमो को सीने में छुपाये जिये जा रहा हु।
जिसे ज्यादा चाहा वो दूर जाता रहा जिंदगी में
बस इसी कारण हर वक्त उसे भुलाये जा रहा हु ।
#देव
This post is for all my friends who need motivation in his love story ☺️
अगर कोई बहुत अच्छा लगे और पता हो की वो नहीं मिलेगा तो उसके साथ बिताये हर पल को एक याद की तरह बना लो , ताकि जीवन में कभी भी उस पल को याद कर मुस्कुरा जरूर सको ...कोहिनूर को देख लो ...है तो किसी एक के पास ही न ..लेकिन हम आज भी याद कर लेते है की वो भारत का ही था और ख़ुशी मह्सुश कर लेते है ..उसी तरह हमे अपने जीवन में हर उस व्यक्ति जो हमे पसंद है चाहे वो दोस्त हो , गर्ल फ्रेंड हो या कोई भी हो ..जिसको भावना नहीं बता सकते या लगे जिसके साथ जीवन बिताना जिंदगी की अंतिम इक्षा है मगर यह संभव नहीं है ..उसके साथ इतने यादे बना लो की उसके ना मिलने का गम उस यादो के तुलना में काफी छोटा लगे ...
खुद के ख़ुशी के लिए किसी को बार बार तंग करना अच्छी बात नहीं ..प्रेम दो तरफ़ा हो जरूरी नहीं .. मगर एकतरफा करने से कोई रोकने वाला नहीं ..मगर मर्यादा के साथ ..क्यों की आपको प्यार करने का हक़ है दुखी करने का नहीं ..
इसलिए हरदम खुश रहो और छोटे छोटे चीज़ो में बड़ी बड़ी खुशिया खोजते रहो ...
#DEV
खुद के ख़ुशी के लिए किसी को बार बार तंग करना अच्छी बात नहीं ..प्रेम दो तरफ़ा हो जरूरी नहीं .. मगर एकतरफा करने से कोई रोकने वाला नहीं ..मगर मर्यादा के साथ ..क्यों की आपको प्यार करने का हक़ है दुखी करने का नहीं ..
इसलिए हरदम खुश रहो और छोटे छोटे चीज़ो में बड़ी बड़ी खुशिया खोजते रहो ...
#DEV
बहुत हिम्मत कर एक चिडिया ने उड़ना चाहा
आंधी आयी और वो अपना पर गवा बैठा
लौट जाता घर फिरभी ,उस आंधी मे अपना घर गवा बैठा।
खो कर सब कुछ फिर भी मुस्कुराता रहा ,
फिर से शुरू कर वो अपना घर बनाता रहा,
कुछ इस तरह से वो हमें किस्मत से लड़ना सिखाता रहा ।
#देव
आंधी आयी और वो अपना पर गवा बैठा
लौट जाता घर फिरभी ,उस आंधी मे अपना घर गवा बैठा।
खो कर सब कुछ फिर भी मुस्कुराता रहा ,
फिर से शुरू कर वो अपना घर बनाता रहा,
कुछ इस तरह से वो हमें किस्मत से लड़ना सिखाता रहा ।
#देव
एक छोटी सी कहानी , मैंने लिखी है ...
*****चाँद और परिंदे की प्रेम कहानी ******
एक परिंदे ने चाँद को धीरे धीरे बड़ा होते देखा तो उसे लगा की वो चाँद उसके तरफ आ रहा है , बस चंद दिनों में वो उस चाँद से मोहब्बत कर बैठा और सारी रात बस उसे देखते अपने तरफ आता सोचता रहा |
कभी उस परिंदे ने उड़ के चाँद के पास जाने की भी कोशिशे भी की मगर थक कर फिर वापस घर लौट आता |
फिर आया वो पूर्णिमा की रात जब वो चाँद और नजदीक दिखने लगा , उसे लगा मानो उसकी हर हसरत पूरी होने वाली है ,
मगर दूसरे दिन से उस चाँद को फिर उसे अपने से दूर जाते देखने लगा | रोज रोज वो चाँद फिर छोटा होने लगा |
वो परिंदा काफी परेशां रहने लगा , काफी कोशीश कर फिर उस चाँद तक पहुंचना चाहा , थका लेकिन फिर भी उड़ता रहा , कोशिश बहुत की मगर हालत इस कदर हो गया उसका की वो मुँह खोले उल्टा हो उस चाँद के तरफ देखता धरती पे आ गिरा |
कुछ महीना हो गया वो इसी तरह पूर्णिमा के रात का बेशब्री से इंतज़ार करता और अमावस्या को उसी तरह चाँद को खोजते खोजते बेहाल हो के मिटटी , कीचड़ , पानी में गिर परता |
काफी दिनों से उसके इस हालत को देख के एक बूढ़े परिंदे ने कहा , बस कर वहां पहुंच पाना संभव नहीं , तो उस परिंदे ने मुश्कुरा के कहा , "पता है उस चाँद को पाना मुमकिन नहीं , मगर उनसे मिलने के इस मुहब्बत को भुला पाना भी मुमकिन नहीं ,थकता हु , गिरता हु , चोट लगती है मगर फिर भी खुश हु , क्यों की ये चोट ही है जो दिन भर उसके यादो को मुझसे लपेटे रहती है " |
कभी उस परिंदे ने उड़ के चाँद के पास जाने की भी कोशिशे भी की मगर थक कर फिर वापस घर लौट आता |
फिर आया वो पूर्णिमा की रात जब वो चाँद और नजदीक दिखने लगा , उसे लगा मानो उसकी हर हसरत पूरी होने वाली है ,
मगर दूसरे दिन से उस चाँद को फिर उसे अपने से दूर जाते देखने लगा | रोज रोज वो चाँद फिर छोटा होने लगा |
वो परिंदा काफी परेशां रहने लगा , काफी कोशीश कर फिर उस चाँद तक पहुंचना चाहा , थका लेकिन फिर भी उड़ता रहा , कोशिश बहुत की मगर हालत इस कदर हो गया उसका की वो मुँह खोले उल्टा हो उस चाँद के तरफ देखता धरती पे आ गिरा |
कुछ महीना हो गया वो इसी तरह पूर्णिमा के रात का बेशब्री से इंतज़ार करता और अमावस्या को उसी तरह चाँद को खोजते खोजते बेहाल हो के मिटटी , कीचड़ , पानी में गिर परता |
काफी दिनों से उसके इस हालत को देख के एक बूढ़े परिंदे ने कहा , बस कर वहां पहुंच पाना संभव नहीं , तो उस परिंदे ने मुश्कुरा के कहा , "पता है उस चाँद को पाना मुमकिन नहीं , मगर उनसे मिलने के इस मुहब्बत को भुला पाना भी मुमकिन नहीं ,थकता हु , गिरता हु , चोट लगती है मगर फिर भी खुश हु , क्यों की ये चोट ही है जो दिन भर उसके यादो को मुझसे लपेटे रहती है " |
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