मेरी रचना :
धीरे धीरे पढियेगा ।
धीरे धीरे पढियेगा ।
उन सपनों के टूटने का दर्द नही होता जो अपने लिए देखते है ।
दर्द तो उन सपनों के टूटने का होता है जो अपनो के लिये देखते है ।
दर्द तो उन सपनों के टूटने का होता है जो अपनो के लिये देखते है ।
लोग कहते है कि इस बड़ी दुनिया मे खोजने पे सब कुछ मिल जाता है ,
मगर लाख खोज लो वो कभी नही मिलते जो एक बार इसे छोड़ के जाता है।
मगर लाख खोज लो वो कभी नही मिलते जो एक बार इसे छोड़ के जाता है।
आज मेहनत करो कल पैसे होंगे , बड़े गाड़ी में तुम घूम लोगो ,
मगर खुशी तो तब मिलती जब उसे उसपे घुमाता जो बचपन मे कंधे पे घूमाता था।
मगर खुशी तो तब मिलती जब उसे उसपे घुमाता जो बचपन मे कंधे पे घूमाता था।
लोग कहते है कि जिंदगी अपने अंदाज में जीना चाहिए ,
मगर पता नही उन्हें हम लोग तो ऊपर वाले के सर्कस के कठपुतले है , लाठी के चोट पे नाचते है ।
मगर पता नही उन्हें हम लोग तो ऊपर वाले के सर्कस के कठपुतले है , लाठी के चोट पे नाचते है ।
एक सवाल आपके जबाब के प्रतीक्षा मे ,
अगर उतरना है जंग ऐ मैदान में तो क्या नियम और क्या कायदा ,
जब होगा वही जो होने वाला है , तो हाय भगवान हाय भगवान से क्या फायदा ।
अगर उतरना है जंग ऐ मैदान में तो क्या नियम और क्या कायदा ,
जब होगा वही जो होने वाला है , तो हाय भगवान हाय भगवान से क्या फायदा ।
देवचन्द्र ठाकुर
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