Saturday, May 4, 2019

"फुर्सत के कुछ पलो को, चंद पंक्तियों में ढाला हु, पढियेगा जरूर!!"
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जिन चोटो पे रो देते थे कभी, उन चोटो पे भी मुस्कुराया है,
जिनसे न छुपाता था राज कभी, उनसे भी बहुत कुछ छुपाया है
कैसे कहु ऐ जिंदगी, कितना कुछ तूने मुझे सिखाया है|
जिन रास्तो पे कभी, यारो का काफिला था साथ मेरे,
बेवक्त उन रास्तो पे, खुद को अकेला पाया है
कैसे कहु ऐ जिंदगी, कितना कुछ तूने मुझे सिखाया है|
बारिशो में भींगते हुए, सड़को पे कागज के नाव चलता था कभी,
उन बारिशो में मैंने, छत के नीचे भी खुद को भींगते पाया है,
कैसे कहु ऐ जिंदगी, कितना कुछ तूने मुझे सिखाया है|
करता था बेहिसाब बाते सभी से, अब बस गुमसुम सा रहता हु
कर लेता हु बाते खुद की खुद से, जिंदगी उस मोड पे आया है
कैसे कहु ऐ जिंदगी, कितना कुछ तूने मुझे सिखाया है|

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