Monday, May 27, 2019

मय और अश्क

कपकपाते होठो को छूता वो मय का प्याला ,
खामोशी से किसी दिल के टूटने का शोर कर रही थी।
आंखों में न उदासी न खुशी की चमक थी,
बस सर पे वो पसीने के बूंदे
कुछ बाते बिना कहे कह रही थी ।
वो आंखों का बंद होना और प्याले का खत्म होना,
मानो उसके रूह में लगी आग को बुझा रही थी ।
वो आखरी पैमाना को उसका यू देर तक देखते रहना,
बिना इजाजत के आँख से निकला हुआ वो अश्क,
किसी दर्द को छुपाने की नाकामयाब कोशिशों को दिखा रही थी।
#Dev

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