Tuesday, April 24, 2018

ऐ बादल तू बरस और हर रोज बरस,
तेरी हर बूंदो की आवाज़ अच्छी लगती है ,
सहमे से चेहरे पे उनके बूंदो की फुहार अच्छी लगती है ,
भींग जाने का वो डर , हाथ से छुपाये अपना सर
तेरे थम जाने की उनकी वो इंतज़ार अच्छी लगती है ,
ऐ बादल तू बरस और हर रोज बरस,
तेरी गर्जन की हर साज अच्छी लगती है ,
बिजली की चमक और आँखों का बंद करना ,
डरते हुए वो धीरे से निकलती आह अच्छी लगती है ,
सच कहु तो बारिश में उनकी हर बात अच्छी लगती है .....
देव

No comments:

Post a Comment